Sunday 6 September 2015

REIKI TEACHING PUNJAB...09872880634

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#Devotion अर्थात् शरणागति या भक्ति इस प्रकार ये सभी नाम प्रेम के ही हैं।प्रेम ( मोह नहीं ) ही सर्वोच्च भक्ति हैं , प्रेम ही वास्तविक जीवन है, प्रेम में ही बास्तविक सुख है और यही मोक्ष का कारक भी है ।भगवान श्री कृष्ण जी ने भक्ति को सर्वोपरि कहा है लेकिन भक्ति का आधार प्रेम बताया है ।....By Dr.Surendra Nath Panch Ji

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Wednesday 2 September 2015

REIKI AND MEDITATION...

@ ध्यान और उसके लाभ
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जब व्यक्ति आत्मा का ध्यान प्रारंभ करता है , तब उसको अपने सामने कभी कुहरे के सदृश्य रूप दीखता है, कभी धुआँ सा दिखाई देता है , कभी सूर्य के सामान प्रकाश सर्वत्र दीखता है , कभी निश्चल वायु की भांति निराकार रूप अनुभव में आता है, कभी अग्नि के सदृश्य तेज दिखाई देता है, कभी जुगनू के सदृश्य टिमटिमाहट सी प्रतीत होती है , कभी बिजली की सी चकाचौंध , कभी चंद्रमा की भांति शीतल प्रकाश सर्वत्र दिखाई देता है , ये सब योग की उन्नति के लक्षण हैं ।
[ श्वेताश्वतरोप्निषद : अध्याय -2/11 ]
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ध्यान करते करते जब पृथ्वी, जल, तेज़, वायु, और आकाश - इन पांच महाभूतों पर अधिकार हो जाता है, तब उस योग ऊर्जा को प्राप्त कर लेने पर , उस व्यक्ति के शरीर में न तो कोई रोग रहता है , न बुढ़ापा आता है और न उसकी मृत्यु ही होती है अर्थात् उसकी इच्छा के बिना उसका शरीर नष्ट नहीं हो सकता है ।
[ श्वेताश्वतरोपनिषद : अध्याय -2/12 एवम् योगदर्शन : 3/46,47 ]